सूरज की रौशनी की क्या गरज मुझको।
मैंने चिरागों को घर में जला रखा है।
मुझसे दुनिया खफा है तो खफा ही रहे।
मैंने सांसों में ख़ुदा को बसा रखा है।
मैंने चिरागों को घर में जला रखा है।
मुझसे दुनिया खफा है तो खफा ही रहे।
मैंने सांसों में ख़ुदा को बसा रखा है।
kya kahta hai ye sayerana andaj
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