Tuesday, April 1, 2014

khuda ko

सूरज की रौशनी की क्या गरज मुझको।
मैंने चिरागों को घर में  जला  रखा  है।
मुझसे दुनिया खफा  है  तो  खफा ही रहे।
मैंने सांसों में ख़ुदा  को  बसा  रखा  है। 

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