skyfansclub . sabd ke pahle,sabd ke bad.
Friday, April 18, 2014
मुक्तक -
ये शाम इतनी बेमहर क्यों है ?
घोलती मौसम में ज़हर क्यों है ?
क्या शहरे दिल लूट गया है फिर ?
सहमी सहमी सी नज़र क्यों है ?
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