skyfansclub . sabd ke pahle,sabd ke bad.
Sunday, March 9, 2014
क्या कहूं कि अहसास की दरिया बहे ?
क्या लिखूं कि अनकहा न कुछ भी रहे।
प्यार से ना सही तू नफरतों से देख।
सितम सहेगी साँसे,जिस्म सहे ना सहे
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