सुनो ज़िन्दगी ,
रेशमी लम्हो का इंतेखाब पल पल मेरी तन्हाई कर रही है। रूहानी खाबों का देश मेरे पास है। सांसों में सरगम है जिसे सुनकर परियां अनकही कथा लिए कागज़ की सफ़ेद ज़मीन पे उतर रही हैं। एक अदभुत संसार मेरे कोमल सपनो के एक छोटे से गोशे में सिमट आया है। पोखर के मीठे जल और मीठे हो चलें हैं। दूर तलक बिखरे पत्थरों में हीरे सी चमक है। काँटों ने फूलों का लिबास पहनकर ओस की बूंदों को पलकों पे सजा रखा है। गुमनाम गलियां कदीम ,भूले बिसरे यादों की पाजेब पहनकर थिरक रही हैं। चाँद बादलों के महल से निकलकर झील में उतर आया है और चंचल चाँदनी कुछ कह रही है चुपके से।
मिट्टी की सोंधी खुश्बू शायरी कह रही है। परिंदे पुरवाइयाँ लिये किरणो के दर्पण में अपनी परछाइयों से खेलने में मुब्तला है। तूफां डूबती कागज़ की कश्ती को लहरों से महफूज करके दमकते मरुास्थल के गोद में सर रखके नींदे ले रहा है। आखिर किसके कदमो की आहट वादिओं में ग़ज़लें कह रहीं हैं ?सुनो ज़िन्दगी -कही तुम तो नहीं ?
झील ,झरने ,नदियाँ ,सागर ,हाले सहरा क्या जाने ?
इश्क़ एह्सास की चुप्पी है कोई बहरा क्या जाने ?
रेशमी लम्हो का इंतेखाब पल पल मेरी तन्हाई कर रही है। रूहानी खाबों का देश मेरे पास है। सांसों में सरगम है जिसे सुनकर परियां अनकही कथा लिए कागज़ की सफ़ेद ज़मीन पे उतर रही हैं। एक अदभुत संसार मेरे कोमल सपनो के एक छोटे से गोशे में सिमट आया है। पोखर के मीठे जल और मीठे हो चलें हैं। दूर तलक बिखरे पत्थरों में हीरे सी चमक है। काँटों ने फूलों का लिबास पहनकर ओस की बूंदों को पलकों पे सजा रखा है। गुमनाम गलियां कदीम ,भूले बिसरे यादों की पाजेब पहनकर थिरक रही हैं। चाँद बादलों के महल से निकलकर झील में उतर आया है और चंचल चाँदनी कुछ कह रही है चुपके से।
मिट्टी की सोंधी खुश्बू शायरी कह रही है। परिंदे पुरवाइयाँ लिये किरणो के दर्पण में अपनी परछाइयों से खेलने में मुब्तला है। तूफां डूबती कागज़ की कश्ती को लहरों से महफूज करके दमकते मरुास्थल के गोद में सर रखके नींदे ले रहा है। आखिर किसके कदमो की आहट वादिओं में ग़ज़लें कह रहीं हैं ?सुनो ज़िन्दगी -कही तुम तो नहीं ?
झील ,झरने ,नदियाँ ,सागर ,हाले सहरा क्या जाने ?
इश्क़ एह्सास की चुप्पी है कोई बहरा क्या जाने ?
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