Monday, April 14, 2014





















रेशमी आवाज़ की शहजादी -श्रेया घोशाल।

   नीलमणि[ प्रोड]कल्पना शाह[ अभि 0 ]डॉ मनोज सिंह फिल्म -काहे बाँसुरिया बजलव ,मुम्बई। 
                                      भोजपुरी अभिनेत्री कल्पना शाह,डॉ मनोज़ सिंह
                                        

Tuesday, April 1, 2014

khuda ko

सूरज की रौशनी की क्या गरज मुझको।
मैंने चिरागों को घर में  जला  रखा  है।
मुझसे दुनिया खफा  है  तो  खफा ही रहे।
मैंने सांसों में ख़ुदा  को  बसा  रखा  है। 

khayalon ke tukre

मुस्सर्रत हैं बेशुमार पर कुछ कमी सी है।
मुस्कुराती हुई आँखों में नमी  सी  है।
खाबों को छू नहीं सकता  आसमां सा है।
दामन की रंगीं धूप भी  ज़मीं  सी है।