Thursday, March 12, 2015
skyfansclub . sabd ke pahle,sabd ke bad.: ...
skyfansclub . sabd ke pahle,sabd ke bad.: ...: -लघुकथा -प्रश्न --------------...
Wednesday, March 11, 2015
एक अधूरा ख़त-एक अजनबी के नाम ----------------------------------------------- सुनो -------? ----------? मुख़्तलिफ़ चेहरे हैं पर तुम नहीं हो। उदासियों ,तन्हाइयों का मौसम और मैं तन्हां -सा ?कोई तो नहीं था तुम्हारे सिवा और अब तुम भी नहीं। कहाँ हो ?मीलों चला हूँ ,सदियों जगा हूँ। सफ़र में बेवजह हूँ -कोई अर्थ नहीं। हाँ ,समुन्दर की लहरें साहिल पे दम तोड़ती है और मैं ख़ुद में। रेशमी हवाओं से साँस जलती है। मीठे पोखर पोखर के पानी मेरे आँसुओं से नमकीन हो गए हैं। दरीचे से अब चाँद मेरे घर नहीं आता। अब क्या करूँ ? मैं अब तो रो भी नहीं पाता,आंसूं जो नहीं निकलते। ये ख़त क्यों लिख- रहा मालूम नहीं। फिर ? दुनिया संगदिल फिर ? ---------------- तेरे मेरे बीच का लेकिन।
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